ज़ुल्फ़ शायरी | 30+ Beautiful Zulf Shayari In Hindi | Shayari On Hair
ज़ुल्फ़ शायरी: Friends, in this post we have written Zulf Shayari. Hair that enhances the beauty of our face and attracts people towards us, then there must be poetry on the hair so that we can compliment someone’s hair with shayari.
ज़ुल्फ़ों पर शायरी लिखने वाले शायरों में बहुत से लेखक शामिल हैं तो ऐसे में हम भी आपके लिए ज़ुल्फ़ शायरी का संग्रह लेकर आये हैं जिसे आप पढ़ सकते हैं और किसी की तारीफ करने के लिए आप इस शायरी को उसके साथ सांझा कर सकते हो। Shayari On Zulf, Zulfein Shayari, ज़ुल्फ़ें शायरी
Zulf Shayari | ज़ुल्फ़ों पर शायरी
तेरी बाहों में सिर रख कर तुझमें खोना चाहता हूँ तेरी ज़ुल्फ़ों की छांव के नीचे सोना चाहता हूँ
Teri baahon mein sir rakh tujhme khona chahta hu Teri zulfon ki chhanv ke neeche sona chahta hu
बहते समुंदर सी तेरी ज़ुल्फ़ें जब लहराएं आशिकों के सीने से दिल चुरा ले जाएं
Behte samundar si teri zulfein lehrayen Aashiqo ke seene se dil chura le jaye
जिस दिन वो ज़ुल्फ़ें खुली छोड़ बाहर आने लगी उसे देख मेरे दिल की धड़कन बढ़ जाने लगी
Jis din woh zulfein khuli chhod bahar aane lagi Usey dekh mere dil ki dhadhkan badh jane lagi
उसके चेहरे पर बिखरी ज़ुल्फ़ें मुझे मदहोश कर जाती है वो जब भी सामने आती है दिल चुरा ले जाती है
Uske chehre par bikhri zulfein Mujhe madhosh kar jaati hai Woh jab bhi samne aati hai Dil chura le jaati hai
चला जा रहा था तेरी गली से अपनी मस्ती में तेरे सामने आते ही मै खुद को भूल जाने लगा जिस दिन देखा तुझे खुले बालों में पहली बार उस दिन से दिल तुझे और ज्यादा चाहने लगा
Chala jaa raha tha teri gali se apni masti mein Tere samne aate hi main khud ko bhool jane laga Jis din dekha tujhe khule baalon mein pehli baar Us din se dil tujhe or jyada chahne Laga
ज़ुल्फ़ों को सवाँर कर वो मेरे पास आई थी माथे पर उसने एक बिंदी लगाई थी कानों में झुमके और आंखों में काजल कुछ इस तरह सज़्ज़ कर मुझसे मिलने आई थी
Zulfon ko sanwar kar woh mere paas aayi thi Maathe par usne bindi lagayi thi Kaano mein jhuke aur aankhon mein kajal Kuch is tarah sazz kar mujhse milne aayi thi
तुझे देखने का जुनून बढ़ने लगता है ना देखूं तो दिल तड़पने लगता है जैसे ही होती है सुबह की पहली किरण तेरी बिखरी ज़ुल्फ़ें देखने तेरी और चलने लगता है
Tujhe dekhne ka junoon badhne lagta hai Naa dekhu toh dil tadpane lagta hai Jaise hi hoti hai subah ki pehli kiran Teri bikhari zulfein dekhne teri aur chlne lagta hai
Shayari On Hair
ज़ुल्फ़ों को ऐसे लहराया ना करो बाल खोल कर सामने आया ना करो देख कर दिल की धड़नक थम जाती है तुम खुद को इतना सजाया ना करो
Zulfon ko aise lehraya naa karo Baal khol kar samne aaya naa karo Dekh kar dil ki dhadkan tham jati hai Tum khud ko itna sajaya naa karo
अपने हुस्न पर इतना इतराना छोड़ दो यह दिल पर तीर चलाना छोड़ दो ज़ुल्फ़ें खोल ऐसे गली में आया ना करो यह सब करके हमको जलाना छोड़ दो
Apne husn par itna itrana chhod do Yeh dil par teer chalana chhod do Zulfein khol aise gali me aaya na karo Yeh sab karke humko jalana chhod do
ज़ुल्फ़ें खोल कर तुमने इनको लहराया है मेरे दिल पर तुमने अपना जादू चलाया है जबसे देखा है तुम्हें ज़ुल्फ़ें लहराते तेरा यह मासूम चेहरा तबसे दिल में समाया है
Zulfein khol kar tumne inko lehraya hai Mere dil par tumne apna jadoo chalya hai Jab se dekha hai tumhe zulfein lehrate Tera yeh masum chehra tabse dil me samaya hai
तुझे देख दिल को लगा एक झटका है तेरी ज़ुल्फ़ों में जा मेरा दिल अटका है
Tujhe dekh dil ko lagaa ek jhatka hai Teri zulfon mein jaa mera dil atka hai
गुलाबी गाल तेरे आँखों में काजल हैं यह खुली ज़ुल्फ़ें तेरी करती हमें पागल हैं
Gulabi gaal tere aankhon mein kajal hai Yeh khuli zulfein teri karti humein pagal hai
जैसे ही बिखेर कर बालों को वो घर से बाहर आने लगी उसे देखते ही हमारे जिस्म में बिजली दौड़ जाने लगी
Jaise hi bikher kar baalon ko Woh ghar se bahar aane lagi Usey dekhte hi humare jism mein Bizli daud jaane lagi
मुझे पसंद है उसकी खुली ज़ुल्फ़ों के साये उनकी उलझी ज़ुल्फ़ों में उलझा रहना चाहता हूँ
Mujhe pasand hai uski khuli zulfon ka saya Unki uljhi zulfon mein uljha rehna chata hu
उसकी खुली ज़ुल्फ़ें देख मेरा मन बहक जाता है वो भी इस लिए ज़ुल्फ़ों को बिखेर मुझे बार बार तड़पाता है
Uski khuli zulfein dekh Mera mann bahak jata hai Woh bhi is liye zulfon ko bikher Mujhe bar bar tadpata hai
मोहब्बत है तेरी आँखों से मोहब्बत है तेरे होंठों से मोहब्बत है तेरी बिखरी ज़ुल्फ़ों से मोहब्बत है तेरे मासूम चेहरे से
Mohabbat hai teri aankhon se Mohabbat hai tere honthon se Mohabbat hai teri bikhari zulfon se Mohabbat hai tere masoom chehre se
ज़ुल्फ़ों पर शायरी
कुछ इस तरह हर रोज़ मुझ पर कहर ढाने लगती है ज़ुल्फ़ें बिखेर कर सामने आकर सताने लगती है
Kuch is tarah har roz mujh par kahar dhane lagti hai Zulfein bikher kar samne aakar satane lagti hai
उसकी खुले बालों वाली तस्वीर को सामने रख निहार लेता हूँ जब याद आती है उसकी तो उसे सपनों में उतार लेता हूँ
Uski khule baalon wali tasveer ko Samne rakh nihaar leta hu Jab yaad aati hai uski toh Usey sapno mein utaar leta hu
ज़ुल्फ़ें बिखेर वो बिजली गिराती होगी जैसे मुझे तड़पाया किसी और को तड़पाती होगी मैं तो आज भी देखता हूँ उसकी राह वो पता नहीं अब किसको चाहती होगी
Zulfein bikher woh bizli girati hogi Jaise mujhe tadpaya kisi aur ko tadpati hogi Main toh aaj bhi dekhta hu uski raah Woh pata nahi ab kisko chahati hogi
जिस दिन वो ज़ुल्फ़ों को बिखेर आती है ना जाने कितने आशिकों को कर ढेर जाती है
Jis din woh zulfon ko bikher aati hai Naa jaane kitne aashiqo ko kar dher jati hai
कुछ लम्हें उसके साथ ऐसे भी बिताए थे उसकी ज़ुल्फ़ों में अपने हाथों से फूल लगाए थे
Kuch lamhe uske sath aise bhi bitaye the Uski zulfon mein apne haathon se fool lagaye the
क्या वक़्त था जब वो मुझे चाहने लगी थी पूरा दिन बिखेर कर रखने वाली ज़ुल्फ़ों को मेरे सामने आते ही बालों को सवारने लगी थी
Kya waqt tha jab woh mujhe chahne lagi thi Poora din bikher kar rakhne wali zulfon ko Mere samne aate hi baalon ko sawarne lagi thi
ज़ुल्फ़ शायरी | बिखरी ज़ुल्फ़ें शायरी
वो तेरे महकते बदन की खुश्बू और तेरी ज़ुल्फ़ों का झरने जैसे लहराना मुझे आज भी याद है वो सभी किस्से मुझको देख कर तेरा हल्के से मुस्कराना
Woh tere mehakte badan ki khushboo aur Teri zulfon ka jharne jaise lehrana Mujhe aaj bhi yaad hai woh sabhi kisse Mujhko dekh kar tera halke se muskurana
वो मुझे देख अपने दांतों से होंठ को दबा देती थी मेरे सामने आते ही अपनी ज़ुल्फ़ों को लहरा देती थी हल्का सा देख कर नज़रें नीचे झुका देती थी कुछ इस तरह से भी वो कहर कमा देती थी
Woh mujhe dekh apne danton se honth ko dabaa deti thi Mere samne aate hi apni zulfon ko lehra deti thi Halka sa dekh kar nazrein neeche jhuka deti thi Kuch is tarah se bhi woh kahar kama deti thi
वो जब भी गली में आकर अपने बाल सुखाने लगती है उसकी समुंदर सी लहराती ज़ुल्फ़ों से महक आने लगती है
Woh kab bhi gali mein aakar Apne baal sukhane lagti hai Uski samundar si lehraati Zulfon se mahak aane lagti hai
एक तू मेरे जीने की वजह बन जाओ मै तुझे चाहूं और तुम मुझे चाहो मेरे दिल का यह अरमान है कि तुम मेरे कंधे पर अपनी ज़ुल्फ़ें लहराओ
Ek tu mere jeene ki wajah bann jaao Main tujhe chaahu aur tum mujhe chaaho Mere dil ka yeh arman hai ki Tum mere kandhe par apni zulfein lehrao
तेरे बालों को हाथों से सहलाना है मुझे तुझे एक दिन अपनी दुल्हन बनाना है मुझे
Tere baalon ko haathon se sehlana hai mujhe Tujhe ek din apni dulhan banana hai mujhe
तेरी ज़ुल्फ़ें दिखती हैं उलझी हुई मै इन्हें सुलझाना चाहता हूँ तेरे बालों को सुलझाते हुए मैं इनमें उलझ जाना चाहता हूँ
Teri zulfein dikhti hai ulajhi Huyi Main inhe suljhana chahta hu Tere baalon ko suljhate huye Main inme Uljh jana chahta hu
जब भी गुज़रे पास से ज़ुल्फ़ें लहरा देती है वो अपनी ज़ुल्फ़ों की महक से हवा महका देती है
Jab bhi woh guzre paas se zulfein lehra deti hai Woh apni zulfon ki mahak se hawaa mehka deti hai
जहां भी महकी हो मीठी मीठी खुशबू समझ जाना कि वहां उसने ज़ुल्फ़ों को झटका है
Jaha bhi mehki ho meethi meethi khusboo Samjh jana ki waha usne zulfon ko jhatka hai
तो दोस्तों कैसी लगी आपको यह ज़ुल्फ़ शायरी हमें कमेंट कर ज़रूर बताएं और इसे अपने प्रेमी/प्रेमिका से सांझा करें।
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