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Gussa Ho Kya | 20+ Best गुस्सा हो क्या शायरी 【2022】

Gussa Ho Kya Shayari: मित्रो हम आपके सामने पेश कर रहे हैं Gussa Ho Kya Shayari, इस ब्लॉग पोस्ट में आपके साथ गुस्से पर सवाल पूछते हुए शायरी लिखी गयी है जिसमें शायरी के माध्यम से हम अपनी प्रेमिका या प्रेमी से यह पूछ सकते हैं कि Gussa Ho Kya । हमें उम्मीद है कि आपको यह शायरी पसंद आएगी और आप इस शायरी को अपने खास दोस्तों मित्रों के साथ ज़रूर शेयर करेंगे।

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Gussa Ho Kya | गुस्सा हो क्या शायरी

 

गुस्से में भी उसका प्यार दिखता है,

तकलीफ़ भले मुझको दे, दर्द उसको होता है।

 

Gusse mein bhi uska pyar dikhta hai

Taklif bhale mujhko de, dard usko hota hai

Gussa Ho Kya Meri Jaan

इतनी सारी शिकायतें थी

उनके आने से पहले,

उन्होंने आकर हाल क्या पूछा,

अपनी शिकायतों पे गुस्सा आ गया

 

Itni saari shikayatein thi

unke aane se pehle

Unhonne aakar haal kya puchha

Apni shikayaton pe gussa aa gaya

तुम कुछ बोल क्यों नहीं रही गुस्सा हो क्या

तेरी हर ख्वाइश पूरी की कुछ बाकी छूटा है क्या

 

Tum kuch bol kyun nahi rahi gussa ho kya

Teri har khawaish poori ki kuch baaki chhuta hai kya

दो पल के गुस्से से प्यार भरा रिश्ता बिखर जाता है ,

होश जब आता है तो वक्त निकल जाता है ।

 

Do pal ke gusse se pyar bhara rishta bikhar jata hai

Hosh jab aata hai toh waqt nikal jata hai… 

गुस्सा क्यों करते हो बात-बात पर तुम,

शक ज्यादा करते हो या प्यार ?

 

Gussa kyun karte ho baat baat par tum

Shak jyada karte ho ya pyar?

तेरी खामोशी कर रही है बयांन

सच्च में तुम गुस्सा हो क्या मेरी जान

 

Teri khamoshi kar rahi hai bayan

Sach mein tum gussa ho kya meri jaan

गुस्सा उन बादलों की तरह है,

जो बरसने से पहले बहुत गर्मी करते है,

और आंसू उस बारिश की तरह है,

जो बरसने के बाद बहुत ठंडक देते है।

 

Gussa un badlon ki tarah hai

Jo barsne se pehle bahut garmi karte hai

Aur aansu us baarish ki tarah hai

Jo batane ke baad bahut thandak dete hai

प्यार इतना कि मुझे पाने को हर

वक्त खुदा से इबादत किया करती थी,

और गुस्सा इतना कि मुझसे

लिपटकर मेरी शिकायत किया करती थी।

 

Pyar itna ki mujhe paane ko har

Waqt khuda se ibadat kiya karti thi

Aur gussa itna ki mujhse

Lipat kar meri shikayat kiya karti thi

मेरी छोटी सी बात पर भी वो रूठ जाता है

खामोशी से फिर गुस्सा जताता है

जब तक पूछू ना गुस्सा हो क्या जान

तब तक वो हमसे दूर दूर जाता है।।

 

Meri chhoti si baat par bhi woh rooth jata hai

Khamoshi se fir gussa jatata hai

Jab tak puchu na gussa ho kya jaan

Tab tak woh humse door door jata hai

Gussa Ho Kya

यदि आप सही है तो आपको

गुस्सा करने की जरूरत नही है ,

यदि आप गलत है तो आपको

गुस्सा करने का हक नही है.

 

Yadi aap sahi hai toh aapko

Gussa karne ki jarurat nahi hai

Yadi aap galat hai toh aapko

Gussa karne ka hak nahi hai

Gussa Ho Kya

ना जाने क्यूं नजर लगी जमाने की ,

अब वजह मिलती नही मुस्कुराने की ,

तुम्हारा गुस्सा होना तो जायज था ,

हमारी आदत छूट गई मनाने की

 

Na jane kyun nazar lagi zamane ki

Ab wajah milti nahi muskurane ki

Tumhara gussa hona toh jayaz tha

Hamari aadat chhoot gayi manane ki 

वैसे तो लग रही खूबसूरत बड़ी हो

पर तुम मुँह फुलाये क्यों खड़ी हो

गुस्सा हो क्या यह बात बता दो

बता कर बात दिल से कड़वाहट मिटा दो

 

Waise toh lag rahi khubsurat badi ho

Par tum munh fulaye kyun khadi ho

Gussa ho kya yeh baat bata do

Bataa kar baat dil se kadwahat mitaa do

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