20+ New Jalan Shayari In Hindi | जलन पर शायरी
जलन पर शायरी: दोस्तों वैसे तो हमें किसी से भी किसी बात पर जलना नहीं चाहिए इससे किसी का कुछ नहीं जाता इससे हम खुद को ही नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन फिर भी कुछ लोग यह बात नहीं समझते और हमसे जलते रहते हैं जो कि बिल्कुल गलत है।
इस लिए आज हम “जलन पर शायरी” लेकर आए हैं जिसको आप अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर लगाकर अपने जलने वालों को दिखा सकते हो और उन्हें बता सकते हो के हमसे जलने से अच्छा कुछ कर लो ज़िन्दगी में काम आएगा।
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जलन पर शायरी | Jalan Shayari In Hindi
मंजिलें पहाड़ों से ऊंची हो गयी इंसान की सोच जो छोटी हो गयी है क्योंकि इंसान अपनों से ही जलता है और दूसरों पर वो मरता है Manzilein pahadon se uchi ho gayi Insan ki soch jo chhoti ho gayi hai Kyonki insan apno se hi jalta hai Aur dusron par woh marta hai
ज़ख्मों पर मेरे नमक छिड़क कर चर्चा ए मोहब्बत तूने शरेआम किया है दर्द ए जलन ही अब दवा है मेरी मिर्ची ए इश्क़ जो तूने पेश किया है Zakhmo par mere namak chhidak kar Charcha Ae mohabbat tune sareaam kiya hai Dard Ae Jalan hi ab dawaa hai meri Mirchi Ae Ishq jo tune pesh kiya hai
जलन तो होती है मुझे उस चाँद को देखकर जो हर रात अपनी चाँदनी के साथ ही बिताता है Jalan toh hoti hai mujhe us chand ko dekh kar Jo har waqt raat apni chandni ke saath hi bitaata hai
वह हार कर भी जीत गया क्योंकि उसके पास सदैव मुस्कुराने की कला थी और कोई जीतकर भी रोज़ हारता है क्योंकि उसके पास जलने के सिवाए कोई कला ना थी Woh haar kar bhi jeet gaya kyunki uske paas Sadev muskurane ki kala thi aur koi jeet kar Bhi roz haarta hai kyun uske paas jalne ke Sivaye koi kala nahi thi
इश्क़ की जलती लो मैं सुलगती आशिक़ी काफिर जलन की बात ना पूछ रूह बेचैन है सुलग जाने को Ishq ki jalti lo main Sulgati aashiqi kafir Jalan ki baat naa puchh Rooh bechain hai sulag jane ko
दूसरों की तरक्की पर जलने वाले इंसान जलन की आग में कहीं मिटा ना लेना अपना ही नाम ओ निशान Dosron ki taraki par jalne wale insan Jalan ki aag mein kahi mitaa naa lena Apna hi naam o nishaan
कोई फ़क़ीर कल मुझे इतनी गर्मी का राज़ बता गया आँखें तो नम थी पर चेहरे पर हँसी थी हँसते हँसते कह गया “जव इंसान ही इंसान से जलने लगा है तो गर्मी तो पड़नी ही है ना साहेब”।।। Koi fakeer kal mujhe itni garmi ka raaz bata gaya Aankhein toh nam thi par chehre par hassi thi Haste haste keh gaya “jab insan hu insan se jalne laga hai toh garmi toh padni hi hai naa saheb”
आखिर दिल की बात जुबान पे आ ही गयी तेरी आँखों मे प्यार आज दिख ही गया तेरी जुबान कितना भी इनकार करे तेरी जलन ने राज दिल के खोल ही दिए Aakhir dil ki baat jubaan pe aa hi gayi Teri aankhon mein pyar aaj dikh hi gaya Teri zuban kitna bhi inkar kare Teri jalan ne raaz dil ke khol hi diye
चाँद को भी जलन में पीछे पीछे आते देखा है माँ जब सँवरती है तो आईना बन नीचे आते देखा है Chand ko bhi jalan mein peeche peeche aate dekha hai Maa jab sanwarti hai toh aaina ban neeche aate dekha hai
पहले लोग आपसे आकर्षित होंगे फिर वो आपसे मिलने चाहेंगे आपको जानना चाहेंगे और जब धीरे धीरे जान लेंगे तब उनका वही आकर्षण जलन और नफरत में बदल जाएगा Pehle logg aapse akarshit honge Fir woh aapse milne chahenge Aapko janana chahenge Aur jab dheere dheere jaan lenge Tab unka saathi akarshan Jalan aur nafrat mein badal jayega
क्यों लोग जमाने के लगाते हैं नज़र कर नहीं सकते जो खुद कुछ देख के जल जाते हैं किसी को मुकाम पर नहीं भाते मुझे ऐसे लोग बिल्कुल ही नहीं समझ आते हैं मुझे ऐसे ही यह लोग Kyun logg zamane ke lagate hai nazar Kar nahi sakte jo khud kuch Dekh ke jal jaate hai kisi ko mukam par Nahi bhaate mujhe aise logg bilkul hi Nahi samjh aate hai mujhe aie hi yeh logg
Jalan Shayari 2 Lines
तुम नफरत करो बेशुमार लोग कुछ नहीं कहेंगे हमने ज़रा प्यार कर लिया तो सो तूफान खड़े हो गए Tum nafrat karo beshumar Logg kuch nahi kahenge Humne zara pyar kar liya Toh so tufan khade ho gaye
इंसान की यही फितरत है कभी नफरत तो कभी शिकायत है कहाँ कोई खुश रहता है ज़िन्दगी में कहीं जलन तो कही नफ़रत है Insan ki yeh fitrat hai Kabhi nafrat toh kabhi shikayat hai Kaha koi khush rehta hai zindagi mein Kahi jalan toh kahi nafrat hai
जो तुम इतना जलते हो ना मुझसे पक्की बात है के एक दिन बुझ जाओगे Jo tum itna jalte ho na mujhse Pakki baat hai ke ek din bujh jaoge
ना जाने वो क्यों मुझसे जलता है दिल में क्या है क्यों नहीं कहता है सुलगता हुआ कोयला धुंआ करता है साथ हवा का हो तो धुँ धुँ कर जलता है Naa jane woh kyun mujhse jalta hai Dil mein kya hai kyun nahi kehta hai Sulgata hua koyla dhua karta hai Saath hawa ka ho toh dhua dhua kar jalta hai
अक्सर खामोशी खुद को ही जलाती है जब भी बात आत्मसम्मान की आती है Aksar khamoshi khud ko hi jalati hai Jab bhi baat aatam samaan ki aati hai
दोस्तों हम उम्मीद करते हैं के यह शायरी आपको जरूर पसंद आई होगी हमें कमेंट कर इसके बारे में जरूर बताना की Jalan Shayari आपको कैसी लगी और ऐसी शायरी के लिए आप हमारे ब्लॉग Loyal Shayar के साथ जुड़े रहिए। धन्यवाद?