Manoj Muntashir Shayari | Best मनोज मुंतशिर शायरी इन हिंदी (2022)
आज के इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपके लिए Manoj Muntashir Shayari लेकर आये हैं, मनोज मुंतशिर बॉलीवुड के प्रसिद्ध गीतकार, शायर और लेखक हैं। इनके द्वारा बहुत से सुपरहिट सांग्स को लिखा गया है।
मनोज मुंतशिर द्वारा बाहुबली फ़िल्म में डायलॉग भी लिखे गए हैं जो बेहद प्रसिद्ध हुए।
वैसे तो इनके द्वारा लिखी गयी सभी शायरी और नज़्में एक से बढ़कर एक हैं मगर हम उनमें से कुछ ही आपके साथ शेयर करेंगे। यदि आप मनोज मुंतशिर की अन्य शायरी को सुनना चाहें तो आप उनके यूट्यूब चैनल पर सुन और देख सकते हैं। हम मनोज मुंतशिर के चैनल का लिंक इस पोस्ट के अंत में दे देंगे।
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Manoj Muntashir Shayari
कयी रातों का मैं जागा हुआ था, ज़रा मौक़ा मिला तो सो गया हूँ … जो बाक़ी रह गए वो काम कर लूँ, मोहब्बत से तो फ़ारिग़ हो गया हूँ.. -मनोज मुंतशिर
मैं तुझसे प्यार नहीं करता पर कोई ऐसी शाम नहीं जब मैं आवारा सड़कों पर तेरा इंतज़ार नहीं करता… -मनोज मुंतशिर
साफ दिखने लगेगी ये दुनिया ऎनक आंखो से उतर जाएगी किसी बच्चे को खेलते देखो आंखो की रोशनी बढ़ जाएगी -मनोज मुंतशिर
आज आग है कल हम पानी हो जायेंगे, आखिर में सब लोग कहानी हो जायेंगे -मनोज मुंतशिर
लपक के जलते थे बिलकुल शरारे जैसे थे, जब हम नए-नए थे बिलकुल तुम्हारे जैसे थे -मनोज मुंतशिर
Manoj Muntashir Shayri
कश्तियाँ हमने जला दी है भरोसे पर तेरे अब यहाँ से नहीं लौट कर जाने वाले मनोज मुंतशिर
जूते फटे पहनके आकाश पर चढ़े थे, सपने हमारे हरदम औकात से बड़े थे, सिर काटने से पहले दुश्मन ने सिर झुकाया जब देखा हम निहत्थे मैदान में खड़े थे. मनोज मुंतशिर
मैं मनोज मुंतशिर हूँ मेरे जैसे सैकड़ो है मेरी शायरी पर चाहो तो ऐतराज करना ये जुबान मेरी दुनिया में सबसे बढकर मैं उर्दू बोलता हूँ इसका लिहाज करना. मनोज मुंतशिर
मैंने लहू के कतरे मिटटी में बोये है खुशबू जहाँ भी है मेरी कर्जदार है, ऐ वक़्त होगा एक दिन तेरा मेरा हिसाब मेरी जीत जाने कब से तुझ पे उधार है. मनोज मुंतशिर
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Manoj Muntashir Poetry
भूल जाना के एक लड़का था शायराना सा कुछ तबियत से काफिराना सा हँस कर सबसे मिलता जुलता था पर उसके दिल का दरवाजा सिर्फ तुम्हारी दस्तकों से खुलता था भूल जाना वो अजीब सा लड़का जो लाल पीले से कपड़ों में गुज़रता शक्ल सूरत तो बस यूं ही सी थी पर तुम्हारे लिए रोज़ बनता सँवरता भूल जाना वो कम पढा लिखा सा लड़का जिसकी किताबों से कभी दोस्ती नहीं हुई पर तुम्हारी आंखें पढ़ने में उससे कभी गलती नहीं हुई भूल जाना वो पागल सा लड़का जो खुद भूलने की आदत से परेशान था बर्बाद था पर तुम्हारे हर कुर्ते का रंग उसे ज़ुबानी याद था मनोज मुंतशिर
Manoj Muntashir Shayari In Hindi
सवाल एक छोटा सा था जिसके पीछे पूरी ज़िंदगी बर्बाद कर ली भुलाऊं किस तरह वो दोनों आंखें किताबों की तरह जो याद कर ली मनोज मुंतशिर
न दिन है न रात है… कोई तन्हा है न साथ है… जैसी आँखें वैसी दुनिया.. बस इतनी सी बात है. मनोज मुंतशिर
कभी खुद्धारी की सरहद ही नहीं लांघते है, भीख तो छोड़िये, हम हक़ भी नहीं मांगते है. मनोज मुंतशिर
अँधेरी रात नहीं लेती नाम ढलने का, यही तो वक़्त है सूरज तेरे निकलने का. मनोज मुंतशिर
Manoj Muntashir Shayari On Mother
ऐसा नहीं कि मां को बनाकर खुदा ने जश्न मनाया, बल्कि सच तो यह है कि वह बहुत पछताया, कब उसका एक एक जादू किसी और ने चुरा लिया, वह जान भी नहीं पाया… खुदा का काम था मोहब्बत, वह मां करने लगी खुदा का काम था हिफाजत, वह मां करने लगी खुदा का काम था बरकत, वह भी मां करने लगी, देखते ही देखते उसकी आंखों के सामने कोई और परवरदिगार हो गया… वह बहुत मायूस हुआ बहुत पछताया क्योंकि मां को बनाकर खुदा बेरोजगार हो गया। Manoj muntashir
हिसाब लगाकर देख लो दुनिया के हर रिश्ते में कुछ अधुरा आधा निकलेगा एक माँ का प्यार है जो दूसरों से नौ महीने ज्यादा निकलेगा. मनोज मुंतशिर
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कभी ना बिछड़ने के वास्ते ही तुझसे जुड़े हैं हाथ मेरे। साया भी मेरा जहाँ साथ छोड़े वहां भी तू रहना साथ मेरे
कई तोहफे और दुआएँ फ़िज़ूल भेजती हूँ उसके तरफ से खुद को मैं फूल भेजती हूँ
तूने आके बदल दी ज़िन्द मेरी डरता हूँ तुझे खोने से कुछ पास मेरे मेरा था ही नहीं जो कुछ है सब तेरे होने से
हमें प्यार अब दुबारा होना बहुत है मुश्किल छोड़ा कहाँ है तुमने हमको किसी के काबिल
Heart Touching Manoj Muntashir Shayari
इन आंखों से यह बता कितना मैं देखूं तुझे रह जाती है कुछ कमी जितना भी देखूं तुझे
क्या हाल हो गया है यह मेरा आंखें मेरी हर जगह ढूंढें तुझे बेवजह यह मैं हूँ या कोई और है मेरी तरह
रोजाना मैं सोचूं यही कहां आजकल हूँ मैं लापता तुझे देख तो हँसने लगे मेरे दर्द भी क्यों खामखा
मैंने जिस पल तुझको सोचा ना याद किया वक़्त तो गुज़रा मगर मैंने वो पल ना जिया
Manoj Muntashir Ki Shayari
मस्त नज़रों से अल्लाह बचाए
हुस्न वालों से अल्लाह बचाए
इश्क़ कातिलों की गली है
जीते जी कोई वापस न जाए
क्या बताए सीने में
किस कदर दरारे हैं
हम वो हैं जो शीशों को
टूटना सिखाते हैं
लोग हमसे कहते हैं लाल क्यों हैं आंखें
कुछ नशा किया है या रात सोए थे कुछ कम
क्या बताएं लोगों को कौन है जो समझेगा
रात रोने का दिल था फिर भी रो ना पाए हम
दिल पर ज़ख्म खाते हैं
और मुस्कुराते है
हम वो हैं जो शीशों को
टूटना सिखाते हैं
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