हिंदी और उर्दू भाषा के बहुत से ऐसे शायर हुए हैं जिनकी शायरियां अमर हो गयी और आज भी लोगों की ज़ुबान पर हैं। ऐसे की कुछ मशहूर शायरों की शायरी लेकर आये हैं। इन मशहूर शायरों में मिर्ज़ा ग़ालिब और जॉन एलिया जैसे शायरों का नाम आज भी लोगों के दिल और ज़ुबान पर है।
हम इस आर्टिकल में जाने माने शायरों की शायरी, पुराने शायरों की शायरी, चुनिंदा शायरों की शायरी और कुछ अज्ञात शायरों की शायरी आपके साथ शेयर करेंगे। यह शायरी आपको जरूर बेहद पसंद आएगी इसलिए इस शायरी को पूरा ज़रूर पढ़ें।
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जाने माने शायरों की शायरी
तुम जब आओगी तो खोया हुआ पाओगी मुझे
मेरी तन्हाई में ख्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं
मेरे कमरे को सजाने की तम्मन्ना है तुम्हें
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ नहीं
जॉन एलिया
आँख से दूर ना हो दिल से उतर जाएगा
वक्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
अहमद फराज़
खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही
जिस की तकदीर बिगड़ जाए वो करता क्या है
फ़िराक गोरखपुरी
हाय लोगों की कर्म फार्माइयाँ
तोमते बदनामियाँ रुसवाईयाँ
ज़िंदगी शायद इसी का नाम है
दूरियाँ मजबूरियां तनहाइयाँ
क्या ज़माने में यूं ही कटती है रात
करवटें बेताबियाँ अंगड़ाइयां
क्या यही होती है शाम-ए-इंतज़ार
आहटें घबड़ाहटें परछाइयाँ
कैफ भोपाली
ज़रा संभल कर करो
गैरों से हमारी बुराई
तुम जिसको जाकर बताते हो
वो हमें आकर बताते हैं
मोहब्बत की भी अपनी
बचकानी ज़िद्द होती है
चुप कराने के लिए भी वही चाहिए
जो रुलाकर गए हैं (ग़ालिब)
कैसे आकाश में सुराख नहीं हो सकता
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो
हो गयी है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
है कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए
दुष्यंत कुमार
खुदा की इतनी बड़ी कायनात में मैंने
बस एक शक़्स को माँगा मुझे वही ना मिला
जिस पर हमारी आंख ने मोती बिछाए रात भर
भेजा वही कागज़ उसे हमने लिखा कुछ भी नहीं
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छुह कर नहीं देखा
बशीर बद्र
दिल में किसी की राह किए जा रहा हूँ मैं
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
तेरी आँखों का कुछ कसूर नहीं
हाँ मुझी को खराब होना था
जिगर मुरादाबादी
कोई पूछेगा जिस दिन वाकई यह ज़िंदगी क्या है
ज़मीं से एक मुट्ठी ख़ाक लेकर हम उड़ा देंगे
अनवर जलालपुरी
चुनिंदा शायरों की शायरी
तुमने यूँ देखा है जैसे कभी देखा ही ना था
मैं तो दिल में तेरे क़दमों के निशान तक देखूं
सिर्फ इस शोंक में पूछी हैं हज़ारों बातें
मैं तेरा हुस्न तेरे हुस्न-ए-बयां तक देखूं
अहमद नदीम क़ासमी
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में
फिर याद बहुत आएगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम
जब धूप में साया कोई सर पर ना मिलेगा
बशीर बद्र
हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी
जिसको भी देखना हो कई बार देखना
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो
निदा फ़ाज़ली
शाम को जिस वक्त खाली हाथ घर जाता हूं मैं
मुस्कुरा देते हैं बच्चे और मर जाता हूँ मैं
एक आँसू कोरे कागज पर गिरा
और अधूरा ख़त मुक्कमत हो गया
राजेश रेड्डी
जो अब तक नाव यह डूबी नहीं है
तो साहिल पर भी बेचैनी नहीं है
चलो हम भी वफ़ा से बाज़ आए
मोहब्बत कोई मजबूरी नहीं है
मज़हर इमाम
बेचैनी के लम्हें साँसें पत्थर की
सदियों जैसे दिन हैं रातें पत्थर की
पथराई सी आंखें चेहरे पत्थर के
हमने देखी कितनी शक्लें पत्थर की
ज़ुल्फ़िकार नक़वी
तुम जो कहते हो कि मैं गैर हूँ फिर भी शायद
कोई निकल आये पहचान ज़रा देख तो लो
जावेद अख़्तर
थे हम तो खुद-पसंद बहुत लेकिन इश्क़ में
अब है वही पसंद जो हो यार को पसंद
वफ़ाएँ करके जाफ़ाएओ का गम उठाए जा
इसी तरह से ज़माने को आज़माए जा
एहसान दानिश
देखा है जिंदगी को कुछ इतने करीब से
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से
साहिर लुधियानवी
मय पी के जो गिरता है तो लेते हैं उसे थाम
नज़रों से गिरा जो उसे फिर किसने संभाला
(मय-शराब)
नज़ीर अकबराबादी
पुराने शायरों की शायरी
जो कह रहे थे जीना मुहाल है तुम बिन
बिछड़ के मुझसे वो दो दिन उदास भी ना रहे
उस से मिलना है तो फिर सादा मिजाजी से मिलो
आईने भेस बदल कर नहीं देखे जाते
मेराज फैजाबादी
पी कर चैन अगर आया भी
कितनी देर को आएगा
नशा एक आवारा पंछी
चेह के गा उड़ जाएगा
हफीज मेरठी
अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या
अब मैं सारे जहाँ में हूँ बदनाम
अब भी तुम मुझको जानती हो क्या
मर चुका है दिल मगर ज़िंदा हूँ मैं
ज़हर जैसी कुछ दवाएं चाहिए
पूछते हैं आप, आप अच्छे तो हैं
जी मैं अच्छा हूँ, दुआएँ चाहिए
जॉन एलिया
इश्क़ ने “ग़ालिब” निक्कमा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के
इस सादगी पे कौन ना मर जाए ए खुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
मिर्जा गालिब
वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ ना करे
मैं तुझको भूल कर ज़िंदा रहूं खुदा ना करे
अब और मेरे प्यार से क्या चाहिए तुझे
चर्चे तो हो रहे हैं तेरे गांव गांव में
कतील शिफाई
रूह तक नीलाम हो जाती है इश्क़ के बाजार में
इतना आसान नहीं होता किसी को अपना बना लेना
कितने अनमोल होते हैं यह मोहब्बत के रिश्ते
कोई याद ना करे तो चाहत फिर भी रेहतीं है
गुलजार
खंजर चले किसी पे तड़पते हैं हम अमीर
सारे जहां का दर्द हमारे जिगर में है
उसकी हसरत है जिसे दिल से मिटा भी ना सकूं
ढूंढने उसको चला हूँ जिसे पा भी ना सकूं
अमीर मीनाई
अज्ञात शायरों की शायरी
पेश तो होगा अदालत में मुक़दमा बे-शक
जुर्म क़ातिल ही के सर हो ये ज़रूरी तो नहीं
जान लेनी थी साफ कह देते
क्या ज़रूरत थी मुस्कुराने की
लोग काटों से बच कर चलते हैं
हमने फूलों से ज़ख्म खाये हैं
मालूम थी मुझे तेरी मजबूरियां मगर
तेरे बगैर नींद ना आई तमाम रात
ज़िंदगी यूँ ही बहुत कम है मोहब्बत के लिए
रूठ कर वात गवाने की ज़रूरत क्या है।।
आज फिर माँ मुझे मारेगी बहुत रोने पर
आज फिर गांव में आया है खिलोने वाला
हिन्दी में और उर्दू में फ़र्क़ है तो इतना
वो ख़्वाब देखते हैं हम देखते हैं सपना
गुलशन से कोई फूल मयस्सर न जब हुआ
तितली ने राखी बाँध दी काँटे की नोक पर
शायर हूँ शायरी करता हूं
हाँ मैं एक बेवफा पर मरता हूँ
कुछ लम्हें बिताए साथ तेरे आज भी याद हैं
तुम भूल गयी मुझे वो रात आज भी याद है
मशहूर शायरों की शायरी दो लाइन की
जिन से इंसान को पहुंचती है हमेशा तकलीफ
उनका दावा है कि वो खुदा वाले हैं
अब्दुल हामिद
चलो कुछ दिनों के लिए दुनियाँ छोड़ देते हैं फराज़
सुना है लोग बहुत याद करते हैं चले जाने के बाद
अहमद फराज़
क्यों देखती हो आईना
तुम तो खुद से भी खूबसूरत हो
जॉन एलिया
चलती फिरती आँखों से अज़ान देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी पर माँ देखी है
मुन्नवर राना
कोई हिंदू, कोई मुस्लिम, कोई ईसाई है
सबने इंसान ना बनने की कसम खाई है
निदा फ़ाज़ली
मेरे अंदर से एक एक करके सब कुछ हो गया रुक्सत
मगर एक चीज़ बाकी है जिसे ईमान कहते हैं
राहत इंदौरी
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में
बशीर बद्र
मैं कई बड़े लोगों की नीचाई से वाकिफ हूं
बहुत मुश्किल है दुनियाँ में बड़े होकर बड़ा होना
डॉ: कुमार विश्वास
मैं इस उम्मीद पे डूबा की तू बचा लेगा
अब इसके बाद मेरा इम्तेहान क्या लेगा
प्रो: वसीम बरेलवी
इंसान की ख्वाइशों की कोई इंतहा नहीं
दो ग़ज़ ज़मीन भी चाहिए, दो ग़ज़ कफन के बाद
कैफ़ी आज़मी
Last Words
दोस्तों यह थी कुछ मशहूर शायरों की शायरी जिनका नाम आपने ज़रूर सुना होगा। यह उन चुनिंदा शायरों की शायरी है जिनकी शायरी लोगों के दिल में बसी हुई है। और कुछ ऐसी शायरी जिसको सुना तो बहुत लोगों ने हुआ है पर उनको लिखने वालों का नहीं पता अर्थात अज्ञात शायरों की शायरी।
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